मुंबई से करीब 200 किमी दूर स्थित है नासिक। नासिक में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास बसा पंचवटी रामायण से जुड़ी एक बहुत ही खास जगह है 

रावण ने देवी सीता का हरण पंचवटी से ही किया था। इसी वजह से इस जगह को हिंदू धर्म में बहुत ही 

इस जगह का नाम पंचवटी होने के पीछे एक खास कारण माना जाता है। कहते है इस जगह पांच वट वृक्ष थे, जिनकी वजह से इस जगह को पंचवटी कहा जाता है। 

इसके बाद लक्ष्मण ने पंचवटी में ही पर शूर्पनखा की नाक काट दी थी। इसी बात का बदला लेने के लिए रावण ने सीता का हरण कर लिया था।  

इसी क्षेत्र में लक्ष्मण द्वारा शूर्पनखा की नासिका यानी नाक काटे जाने की वजह से ये क्षेत्र नासिक के नाम से प्रसिद्ध हुआ।   

पंचवटी में सुंदर-नारायण मंदिर से कुछ दूरी पर ही सीता गुफा है दडकारण्य क्षेत्र से गुजरने के दौरान देवी सीता इसी गुफा में ठहरी थीं।   

पंचवटी से कुछ कि.मी. की दूरी पर जंगल में वो जगह है, जहां पर भगवान राम ने जटायु का अंतिम संस्कार किया था। 

पंचवटी से लगभग 30 कि.मी. की दूरी पर ब्रह्मगिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी का उद्गम स्थान माना जाता है।  

मुंबई से नासिक लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वायु मार्ग से मुंबई पहुंचने के बाद वहां से रेल, बस या टैक्सी द्वारा नासिक पहुंचा जा सकता है। 

नासिक पहुंचने के लिए आप मुंबई से नागपुर, कोलकाता, बिहार और उत्तर प्रदेश की ओर जाने वाली किसी भी ट्रेन से सफर कर सकते हैं। 

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