ज्‍यादातर लोग कैलास मानसरोवर के बारे में ही जानते हैं। लेकिन आदि कैलास को भी कैलास का ही दर्जा प्राप्‍त है

मान्‍यताओं के अनुसार भोलेनाथ जब माता पार्वती को ब्‍याहने के ल‍िए जा रहे थे तो इसी स्‍थान पर उन्होंने अपना पड़ाव डाला था।

कैलास मानसरोवर यात्रा के बाद आदि कैलास यात्रा को सबसे पवित्र माना जाता है।

आद‍ि कैलास उत्‍तराखंड राज्‍य में तिब्‍बत सीमा के समीप समुद्रतल से 6191 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है

यह कैलास की प्रतिकृति ही लगता है। यहां जाने के ल‍िए 105 किमी. की पैदल यात्रा करनी पड़ती है

आदि कैलास को छोटा कैलास भी कहा जाता है। यहां पर भी कैलास के समान ही पर्वत है।

कैलास मानसरोवर की तरह यहां भी आद‍ि कैलास की तलहटी में पर्वतीय सरोवर है।

सरोवर के किनारे ही शिव और पार्वतीजी का मंदिर है। साधु-सन्‍यासी तो इस तीर्थ की यात्रा प्राचीन समय से करते रहे

आदि कैलास तक पहुंचने में तकरीबन 17 या 18 दिन लगते हैं।

परम‍िट म‍िलने के बाद सबसे पहले बु्द्धि के रास्ते गुंजी पहुंचना होता है। फिर जौलिंगकोंग की ओर सफर करना होता है।

ये पूरा इलाका कुमांऊ के पिथौरागढ़ जिले में पड़ता है। जो तिब्बत की सीमा से काफी नजदीक है।

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