IGI Airport Police: इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है. एयरपोर्ट पुलिस ने दिल्ली में चल रही एक फर्जी वीजा (Counterfeit Visa Factory) फैक्टरी का भंडाफोड़ किया है. फर्जी पासपोर्ट की इस फैक्टरी में इतनी सफाई से फर्जी तैयार किए जा रहे थे, जिन्हें पहचानना एक सामान्य आदमी तो छोडि़ए, ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के लिए बहुत आसान नहीं था.
यह गिरोह वीजा बनाने के लिए एक खास तरह के कागज का इस्तेमाल करता था. साथ ही, ये लोग वह सभी सिक्योरिटी फीचर अपने वीजा में डालते थे, जो किए असली वीजा में होती हैं. आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने अब तक इस मामले में सात गिरफ्तारियां पूरी कर ली है. पुलिस को मौके से भारी तादाद में वीजा बनाने में इस्तेमाल होने वाला सामान भी मिला है.
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इस इलाके में चल रही थी फर्जी वीजा की फैक्टरी
आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस उपायुक्त उषा रंगनानी के अनुसार, नकली वीजा बनाने वाली यह फैक्टरी दिल्ली के तिलक नगर इलाके में चल रही थी. छापेमारी के दौरान, पुलिस ने मौके से एक यात्री समेत सात आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है. इनके कब्ब्जे से 14 नेपाली और दो भारतीय पासपोर्ट भी बरामद किए गए हैं. इन सभी पासपोर्ट में फर्जी शेंगेन वीजा लगाए गए थे. पुलिस ने इनके कब्जे से फेक वीजा बनाने में इस्तेमाल होने वाली मोहर और वाटर मार्क मैटेरिलय भी बरामद किया है.
कैसे हुआ फर्जी वीजा फैक्टरी का खुलासा?
डीसीपी उषा रंगनानी के अनुसार, यह मामला दो सितंबर की रात का है. हरियाणा के दीवाना गांव में रहने वाला संदीप कुमार नामक एक युवक इटली जाने के लिए आईजीआई एयरपोर्ट के टर्मिनल थ्री में पहुंचा था. ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन की जांच के दौरान पाया गया कि संदीप कुमार के पासपोर्ट में लगे इटली के वीजा से माइक्रो सिक्योरिटी फीचर गायब है. जिसके बाद, ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन ने आगे की जांच के लिए संदीप को आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस के हवाले कर दिया. वहीं, पुलिस की पूछताछ में संदीप ने बताया कि उसे यह फर्जी वीजा आसिफ अली नाम के शख्स ने मुहैया कराया था.
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IGIA पुलिस की इस टीम ने किया गिरोह का भंडाफोड़
डीसीपी उषा रंगनानी ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इंस्पेक्टर अजय यादव के नेतृत्व में एक स्पेशल टीम का गठन किया गया, जिसमें सब इंस्पेक्टर मदन लाल मीणा, हेडकॉन्स्टेबल विनोद कुमार, हेडकॉन्स्टेबल विनोद पांडे और कांस्टेबल नितिन भी शामिल थे. संदीप की निशानदेही पर पुलिस टीम ने सबसे पहले आसिफ नामक एजेंट को गिरफ्तार किया. फिर इसके बाद, एक एक कर आरोपियों के नाम सामने आते गए और इस गिरोह का भांड़ा फूट गया. बाद में, इन आरोपियों की निशानदेही पर फर्जी वीजा की फैक्टरी को भी खोज निकाला गया.
पुलिस ने कहां से किसको किया गया है गिफ्तार
डीसीपी उषा रंगनानी के अनुसार इस मामले में पहली गिरफ्तारी कुरुक्षेत्र (हरियाणा) के पिहोवा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले दीवाना गांव के संदीप सिंह की हुई थी. इसके बाद, पूछताछ में जैसे-जैसे नए आरोपियों के नाम जुड़ते गए, उनकी गिरफ्तारी होती गई. अब तक गिरफ्तार होने वालों में दिल्ली के तिलक नगर में रहने वाले मनोज मोंगा, नेपाल मूल के शिवा गौतम, करनाल (हरियाणा) के बाहरी गांव में रहने वाले नवीन, दिल्ली के नांगलोई इलाके में रहने वाले बलबीर सिंह, करलान के नीलोखेड़ी इलाके में रहने वाले जसविंदर सिंह और जींद के सफीदो सदर में रहने वाले आशिफ अली का नाम शामिल हैं.
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आरोपियों के कब्जे से क्या-क्या हुआ बरामद
डीसीपी उषा रंगनानी के अनुसार, छापेमारी के दौरान मौके से विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर जारी किए गए 30 नकली स्टिकर वीज़ा, विभिन्न देशों के 23 इमिग्रेशन रबर स्टैम्प, इटली के 3 नकली परमानेंट रेजिडेंसी (पीआर) कार्ड, विभिन्न दूतावासों के 7 डाई, डाई एम्बॉसिंग मशीन, अल्ट्रा-वायलेट (यूवी) फीचर एम्बॉसिंग मशीन, 14 नेपाली पासपोर्ट, 2 भारतीय पासपोर्ट, 3 रंगीन प्रिंटर, स्कैनर, गमिंग शीट, प्लास्टिक लेमिनेशन, विभिन्न देशों के वॉटरमार्क प्रिंट की 6 शीट, वीएफएस ग्लोबल के नाम से प्रिंटेड लिफाफे सहित अन्य सामान शामिल है.
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FIRST PUBLISHED : September 14, 2024, 22:07 IST