IGIA: पैसेंजर्स की जेब के आधार पर तय करते वीजा की फीस, अब तक करोड़ों के किए बारे न्यारे, 7 अरेस्ट, कई की तलाश जारी

IGI Airport News: इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के इतिहास में शायद पहली बार फर्जी वीजा से जुड़े इतने बड़े सिंडिकेट का भंडाफोड़ हुआ है. यह सिंडिकेट विदेश जाने को आतुर नौजवानों को पहले अपने जाल में फंसाता, फिर उनकी हैसियत के हिसाब से वीजा की फीस तय करता. इन नौजवानों से लाखों रुपए वसूलने के बाद इस सिंडिकेट के एजेंट नौजवानों को फर्जी वीजा और टिकट थमा देते. वहीं जब यह नौजवान एयरपोर्ट पहुंचते तो उन्हें मनचाहे विदेशी गंतव्य की जगह सलाखों के पीछे भेज दिया जाता.

आईटीआई एयरपोर्ट पुलिस ने इस सिंडिकेट का भंडाफोड़ कर न केवल साथ एजेंट को गिरफ्तार कर लिया है, बल्कि फर्जी वीजा तैयार करने वाली फैक्टरी का पर्दाफाश भी कर दिया है. इस मामले में अब तक जिन सात लोगों की गिरफ्तारी हुई है उसमें मनोज मोंगा, शिवा गौतम, नवीन, बलवीर सिंह, जसविंदर सिंह, आसिफ अली और संदीप कुमार के नाम शामिल है. इमसें मनोज मोंगा दिल्‍ली के तिलक नगर का रहने वाला है. शिवा नेपाल मूल से है और बाकी सभी आरोपी हरियाणा के जींद और करनाल के रहने वाले हैं.

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यह भी पढ़ें: धड़ल्‍ले से छप रहे थे नकली वीजा, ‘Fake Visa Factory’ का हुआ भंड़ाफोड़, 7 अरेस्‍ट… आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने फर्जी वीजा बनाने वाली एक फैक्‍टरी का भंडाफोड़ कर सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है. क्‍या है पूरा मामला, जानने के लिए क्लिक करें.

आईजीआई एयरपोर्ट की डीसीपी उषा रंगनानी के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों में नवीन और आसिफ हरियाणा-पंजाब के नौजवानों को विदेश की आलीशान जिंदगी का सब्जबाग दिखाकर अपने जाल में फंसाते थे. वही शिवा नेपाली मूल के नागरिकों को विदेश भेजने के नाम पर अपने जाल में फंसता था. शिव खुद नेपाली मूल का नागरिक है. पूरी तरह से अपने जाल में फंसने के बाद यह लोगों की हैसियत के हिसाब से वीजा की फीस तय करते थे. ये दोनों वीजा और टिकट के नाम पर हर पैसेंजर से कम से कम 7 लाख रुपए तो वसूलते ही थे.

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उन्‍होंने बताया कि पैसेंजर से रुपए मिलने के बाद आसिफ, नवीन और शिवा फर्जी वीजा के लिए बलविंदर से मिलते थे. बलविंदर फर्जी वीजा बनाने का काम मनोज को सौंपता था. मनोज पेशे से एक ग्राफिक डिजाइनर है. वह बलविंदर के कहने पर मनचाहे देश का हूबहू वीजा तैयार कर देता था. इमीग्रेशन जांच के दौरान फर्जी वीजा पकड़ में ना आए, इसके लिए वीजा में सभी सिक्योरिटी फीचर भी डाले जाते थे. वीजा तैयार होने के बाद जसविंदर का काम शुरू होता था. जसविंदर इन वीजा को मनोज से बलबीर तक पहुंचाने का काम करता था.

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वीजा मिलते ही बलवीर फर्जी वीजा लगे पासपोर्ट आसिफ, शिवा और नवीन के सुपुर्द कर देता था. वहीं यह तीनों एजेंट पैसेंजर से पूरी पेमेंट लेने के बाद फर्जी वीजा लगे पासपोर्ट और एयर टिकट उन्‍हें सौंप देते थे. इस तरह, यह सिंडिकेट अब तक कई सौ लोगों को अपने जाल में फंसा चुका है. गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने उनके कब्जे से विभिन्‍न व्‍यक्तियों के नाम पर जारी किए गए 30 फेक स्टीकर वीजा, 23 रबर स्टैंप, इटली के 3 फेक परमानेंट रेजिडेंसी कार्ड, विभिन्‍न देशों की इमिग्रेशन स्‍टैंप, डाई एम्बॉसिंग मशीन, अल्ट्रा-वायलेट (यूवी) फीचर एम्बॉसिंग मशीन, 14 ऑरिजनल नेपाली पासपोर्ट, 2 मूल ऑरिजनल भारतीय पासपोर्ट बरामद किए गए हैं.

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फेक वीजा सिंडिकेट का भंडाफोड़ करने वाली टीम
डीसीपी उषा रंगनानी के अनुसार, इंस्‍पेक्‍टर अजय यादव के नेतृत्‍व में मामले की जांच के लिए एक स्‍पेशल टीम का गठन किया गया, जिसमें सब इंस्‍पेक्‍टर मदन लाल मीणा, हेडकॉन्‍स्‍टेबल विनोद कुमार, हेडकॉन्‍स्‍टेबल विनोद पांडे और कांस्टेबल नितिन भी शामिल थे.

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