इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट सहित देश के लगभग सभी एयरपोर्ट्स की सुरक्षा संभाल रही सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (सीआईएसएफ) पैसेंजर्स की सहूलियत को लेकर समय-समय पर नई स्कीम का ऐलान करती रही है. इन सभी स्कीम का मसकद बिना किसी स्वार्थ के एयरपोर्ट से हवाई यात्रा पर जाने वाली पैसेंजर्स की मदद करना होता था. हालांकि यह बात भी दीगर है कि सीआईएसएफ मुख्यालय से जारी होने वाली ये स्कीम कुछ समय तक तो ग्राउंड पर नजर आती है, पर जैसे-जैसे इन स्कीम्स पर अफसरशाही का रंग चढ़ना शुरू होता है, वह फील्ड से नदारद होना शुरू हो जाती है.
अफसरशाही की भेंट चढ़ चुकी सीआईएसएफ की एक ऐसी ही योजना का नाम ‘लॉस्ट एण्ड फाउंड’ स्कीम है. करीब दो दशक पहले इस स्कीम को उन पैसेंजर्स की मदद के लिए लॉन्च किया गया था, जो भूलवश अपना सामान एयरपोर्ट पर भूल कर चले जाते थे. इस स्कीम के पहले चरण में सीआईएसएफ के जवानों ने एयरपोर्ट पर लावारिस मिले सामान को एयरपोर्ट ऑपरेटर तक पहुंचाना शुरू किया. चूंकि उस समय कम्युनिकेशन के साधन इतने अच्छे नहीं थे, लिहाजा इस सामान की सूचना यात्रियों तक नहीं पहुंचाई जा सकती थी.
दिल्ली एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी चेक की लाइनों में घंटो जूझ रहे पैसेंजर्स का गुस्सा अब सीआईएसएफ पर फूटने लगा रहा है. अब पैसेजर्स सीआईएसएफ पर सीधे तौर पर लापरवाह और सुस्त होने का आरोप लगा रहा है. सीआईएसएफ को लेकर क्या कहना है पैसेंसर्ज का, जानने के लिए क्लिक करें.
सीआईएसएफ ने खोजा था समस्या का समाधान
कुछ समय बाद, इस समस्या का सीआईएसएफ ने एक समाधान खोजा और सुरक्षा बल की आधिकारिक वेबसाइट पर ‘लॉस्ट एण्ड फाउंड’ का कॉलम शामिल किया गया. लॉस्ट एण्ड फाउंड का यह कॉलम आज भी सीआईएसएफ की आधिकारिक वेबसाइट का हिस्सा है. इस कॉलम में सीआईएसएफ की जद में आने वाले सभी एयरपोर्ट्स पर लावारिस मिलने वाले सामान की सूची जारी की जाने लगी. सीआईएसएफ के पूर्व महानिदेशक ओपी सिंह और राजेश रंजन ने इस स्कीम को खासतौर एक कदम और आगे बढ़ाया.
ने इस स्कीन को दिया नया आयाम
इन दोनों पूर्व महानिदेशकों ने यह सुनिश्चित किया कि एयरपोर्ट पर लावारिस मिले सामान को सबसे पहले यात्री तक पहुंचाने की कोशिश की जाए. जब किसी भी सूरत में जब पैसेंजर से संपर्क न हो सके, तभी उस सामान को एयरपोर्ट ऑपरेटर के पास जमा कराया जाए. एयरपोर्ट ऑपरेटर के पास सामान जमा कराने के बाद इसकी जानकारी वेबसाइट पर मौजूद लॉस्ट एण्ड फाउंड कॉलम पर जरूर उपलब्ध हो. इस कवायद ने न केवल पैसेंजर्स के दिल में सीआईएसएफ बेहद सकारात्मक छवि बनाई, उसे सभी स्टेक होल्डर्स की तरफ से खासी वाहवाही भी मिली.
एयरपोर्ट पर कार पार्किंग चार्ज के नाम पर एक यात्री से इतने रुपए वसूल लिए गए, जितने रुपयों में आप लखनऊ का रिटर्न टिकट खरीद लें. मामला यही पर खत्म नहीं होता, वह जब अपनी कार के पास पहुंचा तो उसके हाल देखकर उसके होश उड़ गए. क्या है पूरा मामला, जानने के लिए क्लिक करें.
और, सीआईएसएफ की कार्य शैली में होने लगा बदलाव
सीआईएसएफ के पूर्व महानिदेशक राजेश रंजन के सेवानिवृत्त होने के बाद सीआईएसएफ में नया बदलाव शुरू हुआ. ‘खाकी विद स्माइल’ की थीम पर काम करने वाली सीआईएसएफ की कार्यशैली स्टेट पुलिसिंग का रंग लेने लगी. कल तक सीआईएसएफ के जो जवान खुद को आधिकारिकत तौर पर मुसाफिरों का ‘मददगार’ बताते थे, आज उन्होंने खुद को एक सीमित ढर्रे से बांध लिया है. अब उन्हें न ही मुसाफिरों की मदद से मतलब है और न ही उनकी परेशानियों. यहां आपको स्पष्ट कर दें कि इस बदलाव के लिए ये सीआईएसएफ के जवान और जूनियर ऑफिसर्स बिल्कुल भी जिम्मेदार नहीं हैं.
मौजूदा स्थिति के लिए कौन है असल जिम्मेदार?
असल जिम्मेदार है अफसरशाही. और इसी अफसरशाही ने ‘लॉस्ट एण्ड फाउंड’ जैसे महत्वपूर्ण स्कीम को सीआईएसएफ की वेबसाइट का शो पीस बनाकर छोड़ दिया है. उदाहरण के तौर पर बताएं तो 2 सितंबर को आईजीआई एयरपोर्ट के टर्मिनल थ्री से भारतीय और विदेश करेंसी सहित एयर बड्स, टैब मिले हैं, लेकिन जब आप सीआईएसएफ की वेबसाइट पर जाएंगे तो वहां पर आपको नो आइटम फाउंड की जानकारी मिलेगी. देखते ही आने वाले समय में सीआईएसएफ अपनी इन स्कीम्स को अमलीजामा पहनाती है या फिर वेबसाइट का शो पीस बनाकर र