सर्दियों में क्यों लोग चाहते हैं खुले आसमान को निहारना? भारत में कहां-कहां होता है नॉकटूरिज्म?


‘चांद-सी महबूबा हो मेरी’, ‘ये रातें ये मौसम नदी का किनारा ये चंचल हवा’ ‘ये चांद-सा रोशन चेहरा’, बॉलीवुड में चांद-तारों पर खूब गाने बने. शायरी और कविताओं में भी कवि की रचना इनके बिना अधूरी रही है. रात में हमेशा से एक अलग शांति और खूबसूरती रही है, शायद इसलिए अब लोग दिन की जगह रात में घूमना पसंद कर रहे हैं. इसे Noctourism कहा जाता है. सर्दी के मौसम में नॉकटूरिस्ट भारत समेत विदेशों में रात के समय नई-नई जगहों पर घूमते हैं और खुले आसमान को निहारते हैं. जिन लोगों को स्पेस टूरिज्म में दिलचस्पी है या प्रकृति प्रेमी हैं, वह भी इस टूरिज्म को पसंद कर रहे हैं.   

Noctourism का मतलबट्रैवल इंफ्लूएंसर रितिका सैना कहती हैं कि ‘Noc’ शब्द अंग्रेजी के शब्द nocturnal से बना है जो पशु और पक्षियों के लिए इस्तेमाल है. इसका मतलब है वह जीव जो रात में जागते हैं और दिन में सोते हैं. टूरिज्म की दुनिया में Noctourism भले ही नया हो और अब इंडिया में इसका क्रेज बढ़ा हो लेकिन विदेशों में यह ट्रेंड काफी पुराना हो चुका है. विदेशी लोग अपने पास कैंपर वैन रखते हैं जिसमें उनकी जरूरत की हर चीज होती है. वह वीकेंड में जंगलों या पहाड़ों पर निकल जाते हैं और वहीं कैंप लगाकर खुले आसमान के नीचे रात के अद्भुत नजारे को एंजॉय करते हैं. दरअसल शहरों में प्रदूषण बढ़ चुका है और इस वजह से साफ आसमान दिखना मुश्किल हो गया है इसलिए लोग चांद-तारों को देखने के लिए रात को घूमना पसंद करते हैं.  

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नॉर्दर्न लाइट्स से मिली प्रेरणासर्दी के मौसम में जहां विदेशी टूरिस्ट बीच पर जाकर सनबाथ लेते हैं, वहीं एशिया के लोग नॉर्दर्न लाइट्स के दीवाने हैं. इसे ऑरोरा बोरेलिस भी कहते हैं. यह लाइट्स लाल, हरी, नीली, बैंगनी और गुलाबी रंग की होती हैं. नार्वे, आइसलैंड समेत यह आर्कटिक और अंटार्कटिव में दिखती हैं. दरअसल यह जमीन से 60 से 500 किलोमीटर की ऊंचाई पर दिखती हैं जिसे केवल उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर ही देखा जा सकता है. दरअसल जब सूरज की किरणें कणों के साथ पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं और वह कण टकराने लगते हैं जिससे ऑरोरा बोरेलिस के कई रंग दिखते हैं. यह बेहद खूबसूरत और अद्भुत नजारा होता है. 2020 के बाद से भारतीयों के बीच नॉर्दर्न लाइट्स बहुत पॉपुलर हो गई हैं. इन लाइट्स को देखने के लिए नाइट टूर होता है जिसमें लाखों रुपए लग जाते हैं. लोगों के इसी क्रेज को देखते हुए Noctourism का जन्म हुआ.

राजस्थान ने अपने सभी 33 जिलों में ‘नाइट स्काई टूरिज्म’ की शुरुआत की है (Image-Canva)

भारत में ऑरोरा बोरेलिसनॉर्वे, आइसलैंड की तरह लद्दाख में भी ऑरोरा बोरेलिस का मजा लिया जा सकता है. नवंबर से लेकर मार्च तक यह लाइट्स लद्दाख के खुले आसमान में आसानी से देखी जा सकती हैं. दरअसल लद्दाख 20 हजार फुट की ऊंचाई पर है और आसमान से करीब है. इसी वजह से वहां से आसमान हमेशा साफ दिखता है. ठंड में लद्दाख के हंगले में अक्सर ऑरोरा बोरेलिस दिखती हैं लेकिन इस मौसम में इस गांव तक पहुंचना अपने आप में एक चुनौती है. दरअसल लद्दाख में ऑक्सिजन का लेवल कम है, वहां बहुत बर्फ पड़ती है और रास्ते बंद हो जाते हैं लेकिन जिन्हें मौसम से फर्क नहीं पड़ता, वह यहां पहुंच जाते हैं. हंगले में इंडियन एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेट्री भी है. गर्मी के मौसम में भी यहां आसमान साफ दिखता है और तारें टिमटिमाते हुए अलग से दिखते हैं. यहां लोग कैंप लगाकर रात की खूबसूरती को निहारते हैं. हिमाचल प्रदेश के स्पीति में भी लोग नाइट स्काई टूरिज्म को पसंद करते हैं.

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नाइट सफारी का मजाजंगलों में घूमना अपने आप में अलग एडवेंचर है लेकिन रात में इन जगहों को एक्सप्लोर करना और मजेदार है. Noctourism  में नाइट सफारी भी आती है और लोग इसका जमकर लुफ्त लेते हैं. भारत में ऐसे कई नेशनल पार्क हैं जहां नाइट सफारी होती है. वाइल्ड लाइफ को पसंद करने वाले टूरिस्ट रात के अंधेरे में जंगली जानवर देखना एंजॉय करते हैं. मध्यप्रदेश के पेंच नेशनल पार्क में शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक नाइट सफाई होती है. इसके अलावा बांधवगढ़ नेशनल पार्क, कान्हा नेशनल पार्क और सतपुड़ा नैशनल पार्क में नॉकटूरिज्ट नाइट सफारी बुक कर सकते हैं. नाइट सफारी में नॉकटूरिज्ट को नॉकटर्नल (nocturnal) जानवर देखने का अद्भुत मौका मिल जाता है.

नॉकटूरिज्म मेंटल हेल्थ के लिए भी अच्छा माना जाता है (Image-Canva)

आईलैंड से स्काई वॉचअंडमान निकोबार के नील आइलैंड पर भी आसमान बहुत साफ होता है. दरअसल आबादी कम होने की वजह से यहां बिल्कुल भी प्रदूषण नहीं है. जो बीच लवर हैं वह समुद्र की लहरों के बीच खुले आसमान का लुत्फ उठा सकते हैं. नील आइलैंड अपने समुद्री जीव-जंतु और बीच के लिए जाना जाता है. यहां टूरिस्ट भी ज्यादा नहीं आते. इस छोटे से आईलैंड पर पोर्ट ब्लेयर से कई क्रूज और जहाज जाते हैं. जिन लोगों को रात में चांद-तारों को निहारना अच्छा लगता है वह ओपन कैंप बुक कर सकते हैं. लेकिन यहां बीच पर केकड़े और बाकी कीड़े चुनौती बन सकते हैं.

कच्छ में चांद का दीदारगुजरात के कच्छ में रन उत्सव की शुरुआत हो चुकी है. यह उत्सव 1 नवंबर 2024 से 28 फरवरी 2025 तक चलेगा. यहां ठंड के मौसम में लोग सफेद कच्छ के रन को देखने के साथ ही खुले आसमान में चांद-तारों को एंजॉय करते हैं. यहां से चांद की रोशनी और टिमटिमाते तारे कैनवास पर उकेरी गई किसी पेंटिंग से कम नहीं लगते. दरअसल कच्छ का रण नमक का मरुस्थल कहलाता है. यहां नमक बनता है और जिस दिन पूर्णिमा होती है, तो चांदनी रात से सफेद मरुस्थल जगमगा जाता है. फुल मून लाइट में यहां कैंप में लगे हर टेंट की बुकिंग फुल रहती है.  

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Tags: Best tourist spot, India main tourist spot, Madhya Pradesh Tourism, MP tourism, Night Life, State Tourism, Tourism business, Winter seasonFIRST PUBLISHED : December 19, 2024, 15:20 IST

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