Hyderabad: हैदराबाद शहर अपने ऐतिहासिक किलों और महलों के लिए जाना जाता है. यहां बहुत सी खास जगहें हैं और इनमें से एक है एर्रम मंज़िल, ये एक पैलेस है. ये भारत के तेलंगाना राज्य के हैदराबाद में है और इसका इतिहास बहुत ही खास है. इसे साल 1870 के आसपास हैदराबाद राज्य के एक रईस नवाब सफदर जंग मुशीर-उद-दौला फखरुल मुल्क ने बनवाया था. तब से लेकर आज तक न इस महल की खूबसूरती कम हुई है और न इसे चाहने वालों की संख्या. समय के साथ बदलाव आए हैं पर इसके महत्व को कम नहीं कर पाए.

एर्रम मंजिल नाम क्यों पड़ा?
इतिहासकार डॉ शमीउद्दीन के मुताबिक यह हवेली एक पहाड़ी के ऊपर है, जिसे मूल तेलुगु भाषा में एर्रागड्डा यानी लाल पहाड़ी कहा जाता है. इस कारण से नवाब फखरुल मुल्क ने इस महल का नाम एर्रम मंज़िल रखने का फैसला लिया. कुछ किताबों में ये लिखा है कि एर्रम या इरम (ايرام), फ़ारसी शब्द जिसका अर्थ है स्वर्ग. इसी वजह से इसका नाम एर्रम मंजिल पड़ा.

लाल पहाड़ी पर होने की वजह से इस महल को लाल रंग से पेंट करवा दिया गया. नवाब का इरादा था कि हवेली को दो समान-ध्वनि वाले नामों से जाना जाए. राज्य के फ़ारसी-अनुकूल मुस्लिम कुलीनों के लिए इरम मंजिल और स्थानीय तेलुगु लोगों के लिए एर्रम मंजिल.

पर्यटकों की राय
दानिश मुज्तबा ने लोकल 18 को बताया की , यह अजीब बात है कि लोगों को इस अद्भुत महल के बारे में जानकारी नहीं है. यहां तक कि बहुत से स्थानीय लोग भी इस जगह के बारे में नहीं जानते हैं और मुझे लगता है कि यहां का एकांत इस महल को रहस्यमयी सुंदरता प्रदान करता है. इस बारे में दूसरे पर्यटक संप कुमार के कहा कि, एर्रम मंज़िल पैलेस साइकिल चालकों को एक अनोखा अनुभव देता है. इसके अंत में एक चुनौतीपूर्ण चढ़ाई होती है जो साइकिल चालकों में उत्साह भरती है.

कैसे पहुंचे इस महल तक
शहर में केंद्रीय स्थान पर होने के कारण यह कम से कम एक बार देखने लायक दिलचस्प जगह है. भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसकी विरासत को संरक्षित किया जाना चाहिए. ये अद्भुत महल इरम मंज़िल मेट्रो स्टेशन से मुश्किल से 5 मिनट की पैदल दूरी पर स्थित है. इस महल से नजदीकी रेलवे स्टेशन सिकंदराबाद है जो 8 किमी की दूरी पर है.

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