Airport News: प्री-इंबार्केशन सिक्योरिटी चेक के लिए लगने वाली लंबी कतारें इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट ही नहीं, देश के तमाम एयरपोर्ट बड़ी परेशानी बन चुकी हैं. सिक्योरिटी चेक को लेकर लगने वाली इन कतारों को लेकर पहला दोष केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल यानी सीआईएसएफ, और फिर एयरपोर्ट ऑपरेटर के सिर मढ़ दिया जाता है. लेकिन, यहां पर बड़ा सवाल यह है कि क्या वाकई इस समस्या के लिए सीआईएसएफ और एयरपोर्ट ऑपरेटर ही जिम्मेदारी हैं?
सीआईएसएफ और एयरपोर्ट ऑपरेटर को लेकर इस सवाल का जवाब भले ही आंशिक तौर पर हां हो, लेकिन इस समस्या के लिए सबसे बड़े कसूरवार खुद ‘मुसाफिर साहबान’ और एयरलाइंस नजर आती हैं. अब आप पूछेंगे कि एयरपोर्ट पर मुसाफिर खुद ही पीडि़त है, फिर इस समस्या के लिए मुसाफिरों को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. तो चलिए, हम आपको बताते हैं कि मुसाफिर साहबान ने किस तरह अपनी हरकतों से आईजीआई एयरपोर्ट सहित देश के तमाम एयरपोर्ट पर ‘हाहाकार’ की नौबत ला दी है.
सबसे पहले बात करते हैं मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन (MoCA) के उस नियम की, जिसमें तमाम मुसाफिरों को एयरक्राफ्ट में सिर्फ एक हैंड बैगेज ले जाने की इजाजत दी गई है. लेकिन, कितने ऐसे मुसाफिर साहबान हैं, जो अपने साथ सिर्फ एक हैंड बैगेज लेकर एयरपोर्ट पहुंचते हैं. वर्तमान समय में औसत देखा जाए तो हर मुसाफिर साहबान कम से कम दो हैंड बैग के साथ एयरपोर्ट पहुंच रहे हैं. उसकी पूरी कोशिश होती है कि वह अपने बैग चेक-इन कराने की बजाय बतौर हैंड बैग एयरक्राफ्ट में ले जाए.
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मुसाफिरों की इस हरकत का एयरपोर्ट सिस्टम में असर
अब आप कहेंगे कि मुसाफिर अपने बैग चेक-इन करें या फिर बतौर हैंड बैग एयरक्राफ्ट में ले जाएं. इसका सुरक्षा जांच के लिए लगने वाली लंबी कतारों से क्या लेना-देना? तो जनाब आपको यहां बता दें कि आपके हैंड बैग का सीधा लेना देना एयरपोर्ट पर लगने वाली इन कतारों से है. यकीन मानिए एयरपोर्ट पर हैंडबैगेज की वजह से ही अफरा तफरी का माहौल बना हुआ है. दरअसल, प्री-इंबार्केशन सिक्योरिटी चेक के दौरान इन सभी हैंड बैग का एक्स-रे किया जाता है. अब जितने ज्यादा बैग, एक्स-रे में उतना अधिक समय, नतीजा – लंबी कतारें.
एयरपोर्ट की कार्य क्षमता को आधा कर रहे हैं हैंड बैग
एयरपोर्ट सुरक्षा से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सीआईएसएफ ने खुद के लिए लक्ष्य रखा हुआ है कि एक घंटे में कम से कम 300 हैंड बैगेज ट्रे स्क्रीन की जाएं. इस लिहाज से एक मिनट में पांच हैंड बैगेज ट्रे स्कैन होनी चाहिए. चूंकि एक मुसाफिर औसतन दो ट्रे यूज करता है, लिहाजा एक मिनट में करीब-करीब दो मुसाफिरों की सुरक्षा जांच पूरी होनी चाहिए. वहीं, दो या दो से अधिक हैंडबैगेज के साथ पहुंचने वाले मुसाफिर चार या चार से अधिक ट्रे यूज करते हैं. ऐसे में, प्री-इंबार्केशन एरिया में अव्यवस्था तो फैलती ही है, साथ ही स्क्रीनिंग में अधिक समय लगने की वजह से लंबी कतारें लग जाती हैं.
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इस समस्या के लिए एयरलाइंस किस तरह हैं जिम्मेदार
एयरपोर्ट सुरक्षा से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर एयरलाइंस ने ‘संसाधनों का अधिकतम उपयोग’ के सिद्धांत को इतना गंभीरता से ले लिया है कि उन्होंने एक ही स्टाफ की ड्यूटी दो-दो जगह लगा दी है. मसलन, जिस एयरलाइन स्टाफ की ड्यूटी चेक-इन काउंटर पर है, उसी स्टाफ को बोर्डिंग गेट पर भी तैनात किया गया है. ऐसे में, इन स्टाफ को जल्द से जल्द चेक-इन काउंटर बंद कर बोर्डिंग गेट पर पहुंचने की जल्दी होती है. अक्सर यह देखा जा रहा है कि चेकइन काउंटर बंद होने की वजह से मुसाफिर अपना चेकइन वाला सामान भी बतौर हैंड बैग लेकर एयरक्राफ्ट में पहुंच जाते हैं. इस तरह, एयरक्राफ्ट में पहुंचने वाले यह अतिरिक्त बैग सुरक्षा जांच प्रक्रिया को धीमा करते हैं.
आईजीआई एयरपोर्ट पर शुरू हो रहा है खास अभियान
आईजीआई एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ और डायल मिलकर एक विशेष अभियान शुरू करने जा रहे हैं. इस अभियान का टैग लाइन ‘वन पैसेंजर- वन हैंड बैग’ है. इस अभियान के जरिए मुसाफिरों के साथ-साथ एयरलाइंस को भी सिंगल हैंड बैग पॉलिसी का कड़ाई से पालन करने के प्रति जागरूक किया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : September 16, 2024, 08:46 IST