सोशल मीडिया पर आए दिन कोई ना कोई ट्रैवल रील वायरल होती है. खूबसूरत वादियों और गहरे नीले समुंदर को देख कई बार मन करता है कि दुनिया के अलग-अलग देशों को घूमा जाए. आखिर घूमना किसे पसंद नहीं लेकिन कई बार पैसे की कमी इंसान को अपना शौक छोड़ने पर मजबूर कर देती है. अगर आपके हाथों में स्किल्स हैं तो आप पैसे की चिंता किए बिना घूम सकते हैं और साथ में  रहना-खाना भी फ्री रहेगा. इसके लिए आपको बनना होगा वॉलंटियर ट्रैवलर.

कई वेबसाइट्स दे रही मौका
विदेश घूमने के दौरान सबसे ज्यादा पैसा फ्लाइट और होटल में खर्च होता है लेकिन डिजिटल होती दुनिया में ऐसे कई हॉस्टल, गेस्ट हाउस और होटल हैं जो ट्रैवलर को फ्री में उनके यहां रहने और खाने का मौका देते हैं लेकिन इसके लिए आपको उनके वहां काम करना पड़ेगा. वर्ल्ड पैकर्स, वर्कअवे और हेल्प एक्स जैसी वेबसाइट होस्ट और वॉलंटियर की तर्ज पर काम करती हैं. होस्ट होटल या होस्टल के मालिक होते हैं और वॉलंटियर ट्रैवलर. ऐसी जगहों पर काम करने के लिए वर्क वीजा नहीं चाहिए क्योंकि ट्रैवलर के तौर पर व्यक्ति कुछ दिन ही उस देश में घूमता है. अगर रहना और खाना फ्री हो जाए तो सोचिए कितने पैसे बचेंगे. 

कुछ घंटे काम के बदले डॉलर्स?
कुछ हॉस्टल और गेस्ट हाउस ऐसे भी हैं जो एकोमोडेशन के साथ कुछ घंटे काम करवाते हैं और घंटे के हिसाब से पेमेंट करते हैं. इससे ट्रैवलर काम करके पैसे कमाने के बाद बचे हुए घंटों में उस देश की खूबसूरत जगहों को घूम सकता है. कई बैकपैकर और ट्रैवल इन्फ्लूएंसर इस तरह की ट्रिक्स अपनाते हैं. एक वॉलंटियर को हफ्ते में 32 घंटे से ज्यादा काम करने की अनुमति नहीं है. इन कामों के लिए वॉलंटियर की उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए. 

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ट्रैवल इंफ्लूएंसर इसी तरह से दुनिया घूमते हुए पैसा बचाते हैं. (Image-Canva)

ना रिज्यूमे चाहिए ना एक्सपीरियेंस
27 देशों में घूम चुकीं ट्रैवलर और सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर रितिका सैनी ने बताया कि वर्क एक्सचेंज ट्रैवल के तहत कई वेबसाइट्स है जिसमें आपको खुद को रजिस्टर करना पड़ता है. इसमें अपने स्किल्स और कितने दिन तक आप उस देश में रहेंगे, अपने पासपोर्ट डिटेल के साथ लिखना होता है. इससे जब आप उस देश में जाते हैं तो हॉस्टल या गेस्टहाउस के होस्ट आपको वॉलंटियर के रूप में काम करने का मौका देते हैं. इसके लिए ना आपको रिज्यूमे देने की जरूरत है और ना ही किसी अनुभव की. 

अपनी पसंद के हिसाब से चुने काम
विदेशों में लेबर महंगी होती है इसलिए कई देश ट्रैवलर्स को वॉलंटियर बनने का मौका देते हैं जिससे उनका भी फायदा होता है और घूमने के शौकीन लोगों का शौक भी पूरा हो जाता है. वॉलिंटियरिंग में हाउसकीपिंग, क्लीनिंग, गार्डनिंग, एनिमल केयर, कंटेंट राइटिंग, वीडियो मेकिंग, सोशल मीडिया हैंडलिंग, रिसेप्शन, एडमिनिस्ट्रेशन, सोशल वर्क, खेती, कारपेंटर, प्लंबर, पेंटिंग, डेकोरेशन, कूकिंग, टीचिंग, इंग्लिश स्पीकिंग और स्पोर्ट्स सिखाने जैसे काम शामिल हैं.

रूल्स को पढ़े फिर करें अप्लाई
वॉलिंटियरिंग का काम हफ्ते में कुछ घंटों के हिसाब से होता है. अप्लाई करने से पहले जांच लें कि सप्ताह में कितने घंटे काम करना होगा. अपने होस्ट को यह भी साफ कह दें कि आप पूरे दिन काम नहीं करेंगे. हफ्ते में एक से 2 दिन काम करना ठीक है क्योंकि काम के साथ आपको उस देश को घूमना भी है इसलिए टाइम मैनेजमेंट उसी हिसाब से करें. एक दिन में कितने टाइम का खाना फ्री है, इसे भी चेक करें. जहां आप रहेंगे वहां किचन है या नहीं और रूम शेयरिंग में है या सिंगल यह भी साफतौर पर पूछें. विदेशों में कपड़े धोने महंगे पड़ते हैं इसलिए उसी हॉस्टल, होटल या गेस्ट हाउस में रहें जहां लॉन्ड्री की सुविधा हो. फ्री वाईफाई की सुविधा भी हो. कुछ होस्ट बस स्टॉप या ट्रेन स्टेशन से पिक अप या ड्रॉप की सुविधा देते हैं, यह पहले कंफर्म कर लें.    

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वॉलंटियर ट्रैवलर को हवाई जहाज का टिकट खुद कराना होता है. (Image-Canva)

लोगों से जुड़ने का अच्छा मौका
रीतिका सैनी कहती हैं कि घूमने से जहां ज्ञान बढ़ता है, वहीं पर्सनैलिटी भी डेवलप होती है. वॉलंटियर ट्रैवलर बनकर व्यक्ति ना केवल नए देश में घूमता है बल्कि वहां के लोकल लोगों से भी जुड़ता है. किसी भी देश को समझना है तो टूरिस्ट नहीं, ट्रैवलर बनें. इससे आप लोकल लोगों के बीच रहकर उनकी तरह खाते हैं, उनकी तरह घूमते हैं और उनके कल्चर को समझते हैं. इससे आप उनकी भाषा भी सीख जाते हैं.  

कई एनजीओ भी होस्ट
एनजीओ में कई तरह के काम होते हैं. ऐसे कई इंटरनेशनल एनजीओ लोगों को घूमने के साथ वॉलंटियर बनने का मौका देती हैं. इनके जरिए भी ट्रैवल कर रहे ट्रैवलर लोगों को पढ़ा सकते हैं, उन्हें कोई नया स्किल सिखा सकते हैं, एनजीओ को अपनी फोटोग्राफी या ब्लॉग से प्रमोट कर सकते हैं. इसके बदले आपका रहना और घूमना मुफ्त में हो जाएगा. 

खुद को समझने का बेहतरीन मौका
ट्रैवलिंग के दौरान जब नई जगह पर नए लोगों से मिला जाता है तो व्यक्ति उनके साथ तालमेल बैठाने की कोशिश करता है. कई बार परेशानियां आती हैं जिसे समझदारी से निपटता है. अनजान लोगों से दोस्ती करता है. इससे व्यक्ति को खुद को समझने का मौका मिलता है, उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और वह क्रिएटिव भी बनता है. नई एक्टिविटीज करने से मेंटल हेल्थ भी अच्छी होती है.  

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