दिल्‍ली को जल्‍द ही मिलेगा एक और ऐतिहासिक स्‍थल, जानें इसके अचानक सामने आने का रहस्‍य!

नई दिल्‍ली. राजधानी दिल्‍ली में तमाम पर्यटन स्‍थल हैं. पुरातात्विक, ऐतिहासिक महत्‍व वाले पर्यटन स्‍थलों समेत मंदिर और गुरुद्वारे हैं. पर्यटक अपनी रुचि के अनुसार कहीं भी घूम सकते हैं. दिल्‍ली में एक और ऐतिहासिक महत्‍व वाला पर्यटन स्‍थल देखने को मिलेगा. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है. अगले वर्ष इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा.जानें यह ऐतिहासिक पर्यटन स्‍थल सामने कैसे आया?

पर्यटकों को ऐतिहासिक महत्‍व वाला यह पर्यटन स्‍थल दक्षिणी दिल्‍ली में देखने को मिलेगा. 400 साल पुराना मुगलकालीन बारापुला पुल निजामुद्दीन रेलवे स्‍टेशन के करीब है. अभी तक यह अतिक्रमण की चपेट में था, इस वजह से लोगों को दिखता नहीं था. लेकिन अब एएसआई इसे वास्‍तविक रूप में लाएगी. इस तरह एक और पुरातात्विक धरोहर पर्यटकों को देखने को मिलेगी.

दोनों ओर गेट लगाए जा रहे हैं. जिससे पर्यटन दूर से इसे देख सकें.

दो किमी. के दायरे में तीन पर्यटक स्‍थल

बारापुला पुल पुराने स्‍वरूप में आने के बाद दो किमी. के दायरे में चार पर्यटन स्‍थल पर्यटक देख सकेंगे. यहां पर हुमायूं का मकबरा, हजरत निजामुद्दीन की दरगाह, अब्‍दुल रहीम खान-ए-खाना का मकबरा और बारापुला पुल आसपास हैं. अभी तक तीन पर्यटन स्‍थलों को देखकर वापस चले जाते थे, अब जहांगीर के कार्यकाल में बनाया गया बारापुला पुल भी देख सकेंगे. अभी तक यह स्‍थल अतिक्रमण की भेंट चढ़ा था, पिछले दिनों नाला बंद होने के इसके आसपास की कॉलोनियों में पानी भर गया था, जिसके बाद उपराज्‍यपाल मौके पर पहुंचे और तुरंत एक्‍शन लिया. इसके बाद एएसआई इसे पुराने स्‍वरूप में लाने के काम में जुट गयी है. इस वजह से इस ऐतिहासिक स्‍थल पर्यटकों की नजर से दूर था.

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दिल्ली के प्रमुख पर्यटक स्थल

अक्षरधाम मंदिर, लोटस टेम्पल, बिड़ला मंदिर, दिल्ली हाट, गार्डन ऑफ फाइव सेंस, हुमायूं का मकबरा, इंडिया गेट, इस्कॉन मंदिर, जामा मस्जिद, जंतर मंतर, लोदी मकबरा, अब्‍दुल रहीम खान-ए-खाना का मकबरा, संसद भवन, पुराना किला, कुतुब मीनार, राष्ट्रपति भवन, लाल किला, सफदरजंग मकबरा, हजरत निजामुद्दीन की दरगाह, गुरुद्वारा बंगला साहिब, गुरु तेग बहादुर स्मारक, राष्ट्रीय पुलिस स्मारक, राष्ट्रीय संग्रहालय, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक.

बारापुला का इतिहास

इतिहासकारों के अनुसार पुल का निर्माण मुगल बादशाह जहांगीर के कार्यकाल 1612 से 13 के बीच किया गया है, जबकि एसआई की किताब के अनुसार 1621-22 के मध्‍य इसका निर्माण हुआ है. बादशाह ने इस पुल का निर्माण हुमायूं का मकबरा और निजामुद्दीन दरगाह और आगरा की ओर जाने आने के लिए कराया था.

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