Neerja Bhanot: यह कहानी वीरता की अद्भुत कहानी लिखने वाली एयर होस्‍टेस नीरजा भनोट की है. महज 23 साल की उम्र में नीरजा ने वीरता की ऐसी इबारत लिखी कि उसकी बहादुरी का दीवाना न केवल भारत, बल्कि पाकिस्‍तान सहित पूरी दुनिया होगा. दरअसल, नीरजा भनोट वही भारतीय वीरांगना हैं, जिन्‍होंने हाईजैकर्स के चंगुल में फंसे पैन एएम एयरलाइंस के सैकड़ों मुसाफिरों की जान बचाई थी. फ्लाइट में बतौर क्रू हेड तैनात नीरजा ने अपने पैसेंजर्स ने अपने प्राणों की आहूति देने से भी गुरेज नहीं किया था.

दरअसल, यह मामला आज से करीब 38 साल पहले का है. 7 सितंबर 1963 को चंडीगढ़ के पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार में जन्‍मी नीरजा भनोट उन दिनों पैन अमेरिकल वर्ल्‍ड एयरवेज (पैन एएम) में बतौर एयर होस्‍टेस तैनात थी. 5 सितंबर 1986 को नीरजा की ड्यूटी पैन एएम एयरलाइंस की फ्लाइट 73 में बतौर क्रू हेड थी. इस फ्लाइट को मुंबई एयरपोर्ट से चलकर पाकिस्‍तान के कराची और जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर होते हुए अमेरिका के न्‍यूयार्क एयरपोर्ट पर पहुंचना था. यह फ्लाइट अपने निर्धारित समय पर मुंबई एयरपोर्ट से कराची के लिए रवाना हो गई.

तीन बच्‍चों को फ्लाइट से निकालने की कवायद के दौरान एयर होस्‍टेस नीरजा भनोट पर हाईजैकर्स की निगाह पड़ गई. प्‍लेन हाईजैकर्स ने नीरजा पर गोलियों की बौछार कर दी. अपनी आखिरी सांस लेने से पहले नीरजा ने अपनी मां के लिए को अपना लास्‍ट मैसेज भेजा था और यह मैसेज था... क्‍या था नीरजा का आखिरी मैसेज, जानने के लिए पढ़ें आगे... बचाई सैकड़ों पैसेंजर्स की जान, आखिरी सांस लेने से पहले बच्‍चे से भेजा मां को मैसेज, पुष्‍पा.. बह पड़ी सबकी आंखें | Neerja Bhanot Pan Am Airlines passengers lives hijacked Karachi Airport famous dialogue actor Rajesh Khanna message to mother before last breath

यह भी पढ़ें: पैसेंजर्स पर बरसीं गोलियां, प्‍लेन में फटने लगे ग्रेनेड, एयर होस्टेस कर गई कुछ ऐसा, दुश्मन भी हुआ बहादुरी का कायल… पैन एएम की केबिन क्रू हेड नीरजा भनोट के सामने दो विकल्‍प थे, पहला – वह खुद की जान बचाकर फ्लाइट से बाहर निकल जाए और दूसरा प्‍लेन में फंसे बच्‍चों को बाहर निकालने की कोशिश कर खुद के लिए मुश्किल खड़ी कर ले. ऐसे वक्‍त में नीरजा ने फैसला किया कि… आगे की कहानी जानने के लिए क्लिक करें.

नीरजा की समझदारी से फेल हुआ हाईजैकर्स का प्‍लान
इस फ्लाइट में भारत, अमेरिका, पाकिस्‍तान, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आयरलैंड, इटली, मेक्सिको, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम मूल के कुल 365 पैसेंजर सवार थे, जिसमें भारतीय मूल के करीब 91 नागरिक थे. इसके अलावा, इस फ्लाइट में कुल 23 केबिन क्रू मेंबर थीं, जिसमें सर्वाधिक 13 क्रू मेंबर भारतीय मूल के थे. नीरजा भनोट इसी भारतीय क्रू का हिस्‍सा थीं. क्रू मेंबर्स में यूनाइटेड किंगडम से 4, जर्मनी से 3, अमेरिका से 2 और फ्रांस से 1 एयर होस्‍टेस शामिल थीं. यह फ्लाइट कराची एयरपोर्ट पर सुबह करीब छह बजे लैंड हुई.

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कराची एयरपोर्ट पर करीब 109 पैसेंजर्स को डिबोर्ड होना था. पैसेंजर्स की डिबोर्डिंग के दौरान फिलिस्‍तीन मूल के आतंकियों ने हमला कर प्‍लेन पर कब्‍जा कर लिया. इन आतंकियों का इरादा प्‍लेन को हाईजैक कर साइप्रस और इजराइल ले जाने का था. हाईजैकर्स प्‍लेन में मौजूद पैसेंजर्स की जान का सौदा कर साइप्रस और इजराल की जेलों में बंद अपने आतंकी साथियों को छुड़ान चाहते थे. लेकिन, नीरजा भनोट की सूझबूझ से ऐसा हो न सका. नीरजा ने बड़ी होशियारी से पायलट को हाईजैक मैसेज रिले कर दिया, जिससे चलते वे समय रहते प्‍लेन से निकल सके.

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पूरी दुनिया ने नीरजा के कदमों में झुकाया अपना सिर
नीरजा की सूझबूझ से पैन एएम एयरलाइंस का यह प्‍लेन कराची एयरपोर्ट से आगे नहीं बढ़ सका, जिससे बौखलाए हाईजैकर्स ने पैसेंजर्स पर गोलियों और ग्रेनेड की बरसात कर दी. नीरजा ने बड़ी बहादुरी से प्‍लेन के तमाम इमरजेंसी गेट खोल दिए, जिससे ज्‍यादातर पैसेंजर्स अपनी जान बचाकर प्‍लेन से निकलने में सफल रहे. नीरजा भनोट के पास भी प्‍लेन से बाहर निकलने का मौका था, लेकिन कुछ बच्‍चों को बचाने की चाह में उसने इस मौके को जाने दिया. इन बच्‍चों को बचाने की कोशिश के दौरान वह हाईजैकर्स की गोलियों का निशाना बन गई.

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नीरजा भले ही अपने प्राणों का बलिदान देकर अपनों से दूर चली गई हो, लेकिन उसकी बहादुरी का कायल न केवल भारत, बल्कि पाकिस्‍तान और पूरी दुनिया हो गई. नीरजा भनोट को मरणोपरांत वीरता के लिए अशोक चक्र से सम्‍मानित किया गया. नीरजा यह सम्‍मान पाने वाली सबसे कम उम्र की पहली भारतीय महिला थीं. इसके अलावा, पाकिस्‍तान ने नीरजा की शहादत को सिर माथे रखते हुए उसे ‘निशान-ए-पाकिस्‍तान’ से नवाजा. यह पाकिस्‍तान का चौथा सर्वोच्‍च पुरस्‍कार है. इसके अलावा, नीरजा को यूनाइटेड स्‍टेट स्‍पेशल करेज अवार्ड से सम्‍मानित किया गया था.

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