शुरू हुआ धौलपुर के तीर्थराज मचकुंड में बना पेनोरमा, जानें खुलने का समय और एंट्री फीस

धर्मवीर बघेल/धौलपुर: राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति विभाग की ओर से तीर्थराज मचकुण्ड धौलपुर में पेनोरमा बनाया गया था. इसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सितंबर 2018 में कर दिया था. इसमें मचकुण्ड से जुड़ी गाथाओं को पर्यटकों के सामने लाया गया है जिसमें जरासंध और कालयवन द्वारा युद्ध की रणनीति बनाने से लेकर मचकुंड महाराज का संपूर्ण इतिहास भव्य फुल साइज की सीनरी, पेटिंग और चित्रकारी से दिखाया गया है.

पेनोरमा में मचकुण्ड महाराज की प्रतिमा तो है ही. इसके अलावा पेनोरमा में श्रीकृष्ण बलराम, युद्ध की रणनीति बनाते जरासंध व कालयवन, कंस के मरने के बाद कंस की पत्नियां अपने पिता जरासंध के पास मिलने पहुंचने, श्रीकृष्ण का पीछा करता कालयवन, ऋषि श्री शेशिरायन जी की शिवोपासना, कालयवन का पद प्रहार, रणछोड श्रीकृष्ण जी, देव सेना के सेनापति स्वामी कार्तिकेय जी, मचकुंड जी को नींद का वरदान देना, मचकुंड द्वारा देवताओं को रक्षा का वचन, महाराजा मुचुकुंद जी का गंधमादन गुफा में विश्राम सहित विभिन्न संघर्ष और वार्तालापों को दर्शाती हुई प्रतिमाएं हैं जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं. इससे इतिहास का ज्ञानवर्धन होता है. इसे जयपुर के कलाकारों द्वारा बनाया गया है.

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क

जिला प्रशासन के द्वारा पैनोरमा पर लगाए गए कर्मचारी संदीप शर्मा ने बताया कि सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक और दोपहर 4 बजे से रात्रि 8 बजे तक पैनोरमा खुला रहता है. पैनोरमा में अंदर प्रवेश के लिए प्रवेश शुल्क रखा गया है जिसमें प्रति व्यक्ति 10 रुपए है. बच्चों और विद्यार्थियों के लिए 5 रुपए प्रवेश शुल्क रखा गया है. दूर-दूर से पर्यटक आते हैं और पैनोरमा में बने चित्रकलाकारी का लुफ्त उठाते हैं.

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लाडली जगमोहन मंदिर के महंत कृष्णदास ने बताया कि मचकुंड पर बनाया गया पैनोरमा काफी समय से बंद पड़ा था. इसे एक बार फिर से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है. जिला कलक्टर श्रीनिधि बीटी ने इसको वापस शुरू करा दिया है.

एसडीएम डॉ.साधना शर्मा ने पर्यटन विभाग समेत अन्य विभागों से चर्चा कर इस स्थल को बीते दिनों खुलवा कर सफाई करवाई है. अब दूर-दराज से आने वाले पर्यटकों को निराश होकर नहीं लौटना पड़ेगा. पैनोरमा में जरासंध और कालयवन के युद्ध की रणनीति बनाने से लेकर मचकुण्ड महाराज का संपूर्ण इतिहास पेटिंग, सीनरी और चित्रकारी के जरिए दिखाया गया है. इसमें धौलपुर के इतिहास के साथ मचकुण्ड आसानी से जानकारी मिलती है.

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