धरती का ‘पाताल लोक’, पहुंचने के लिए उतरना पड़ता है 106 सीढ़ियां, उतरते ही होता है अदृश्य शक्तियों से सामना…

नई दिल्ली. दिल्ली में एक ऐसा जगह है, जहां मौजूद है हजारों साल पुराना इतिहास. लोग इसे अग्रसेन की बावली, उग्रसेन की बावली या फिर बावड़ी के नाम से भी जानते हैं. इसे धरती का ‘पाताल लोक’ भी कहा जाता है. लेकिन, पिछले कुछ सालों से इस बावली का जलस्तर अचानक से बढ़ने लगा है. जलस्तर अचानक बढ़ने से यहां आ रहे सैलानियों को निराशा हाथ लग रही है. क्योंकि, उनको पाताल लोक जाने से रोक दिया जाता है. धरती से 106 सीढ़ियां नीचे नहीं उतरने से सैलानियों में निराशा है. अग्रसेन की बावली के नाम से चर्चित यह स्थान भारतीयों के साथ-साथ विदेशी सैलानियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है. यह जगह भुतिया कहानियों के लिए भी प्रचलित है. अदृश्य शक्तियों के साथ-साथ यहां का काला पानी को लेकर भी कई तरह की कहानियां सुनने को मिलती हैं.

दिल्ली का यह बावड़ी मध्यकालीन भारत की वास्तुकला और इंजीनियरिंग कौशल का एक शानदार उदाहरण है. इतिहासकारों की मानें तो इस बावड़ी को गर्मी से राहत दिलाने के लिए बनाई गई थी. यह बावड़ी, प्रागैतिहासिक भारत की बावड़ियों और जलाशयों से प्रेरित है. इसकी लंबाई 60 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है. 106 सीढ़ियां आपको जल स्तर तक ले जाती हैं. कहा जाता है कि जैसे-जैसे आप नीचे जाते जाएंगे तापमान घटता जाता है. लेकिन, अब जलस्तर बढ़ने लगा है.

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हर रोज हजारो लोग इस बावली को देखने आते हैं.

अग्रसेन की बावली को लेकर क्या है किंवदंतियां
यह बावली किंवदंतियों और अलौकिक कहानियों से घिरी हुई हैं. उत्तरकालीन तुगलक और लोदी काल की स्थापत्य शैली में बनी है. इस बावड़ी के नीचे पहुंचने के लिए करीब 106 सीढ़ियां उतरनी पड़ती हैं. लेकिन अभी सिर्फ 60 सीढ़ियां ही नजर आती हैं. 46 सीढ़ियां पानी के अंदर है.

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क्यों चर्चा मे है अग्रसेन की बावली?
न्यूज 18 हिंदी से बातचीत में शकील कहते हैं, ‘ऐसा कहा जाता है कि कुएं के अंदर काला पानी लोगों का दिमाग घुमा देता है. नीचे जाने पर रहस्यमय तरीके से लोगों की मौत भी हुई हैं.’ हालांकि, जब न्यूज 18 हिंदी ने वहां मौजूद कर्मचारी अखिलेश से सवाल पूछा कि हाल के दिनों में मौत की कोई घटना हुई है? इस सवाल पर अखिलेश कहते हैं, ‘पिछले 20-25 सालों में तो ऐसा नहीं हुआ है. हां अगर पहले हुआ होगा तो इसकी जानकारी मुझे नहीं है.’

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यह जगह किंवदंतियों और अलौकिक कहानियों से घिरी हुई है.

एएसआई के अधिकारी क्या कहते हैं?
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के कंजर्वेशन असिस्टेंट करण साख्यान न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं, ‘पिछले दो सालों से बावड़ी में पानी का लेवल बढ़ रहा है. पहले सभी सीढ़ियां दिखाई देती थीं. लेकिन, अब तकरीबन 45-46 सीढ़ियां पानी में डूब गई हैं. बहुत जल्द क्लीनिंग का काम शुरू होने वाला है. हमलोग डी-शील्ट करेंगे और फिर पता लगाएंगे कि पानी का सोर्स कहां से आ रहा है. पिछले दो सालों में दिल्ली में पानी का जलस्तर बढ़ा है. यमुना वाटर लेवल बढ़ना भी एक कारण हो सकता है. इसके अलावा भी पानी लिकेज का पता लगाएंगे.’

क्या कहते हैं प्रेमी जोड़े
अपने प्रेमी के साथ अग्रसेन की बावली देखने आईं शालिनी कहती हैं, ‘देखिए अग्रसेन की बावली को लेकर अफवाह है कि यहां आने के बाद रहस्यमयी काला पानी देखकर लोग कूदने और अपनी जान देने के लिए मजबूर हो जाते हैं. लेकिन, मुझे तो ऐसा नहीं लगा. हां नीचे जाने पर डर जरूर लगता है. लगता है कि कोई अदृश्य शक्ति है जो उन्हें अपनी ओर खींच रही है.’

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अग्रसेन की बावली की सुंदरता और आकर्षण आज भी लोगों को भी खूब पसंद आ रहा है.

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अग्रसेन की बावली की सुंदरता और आकर्षण आज भी लोगों को भी खूब पसंद आ रहा है. इस जगह से जुड़े भूतिया कहानी के लिए भी लोग यहां आते हैं. लड़के-लड़कियां, प्रेमी जोड़ों को यहां आने पर सुकून मिलता है. प्रेमी जोड़े यहां आकर खूब फोटो खिंचाते हैं और घंटों गंप्पे लड़ाते और एक-दूसरे को निहारते रहते हैं. दिल्ली के बीचों-बीच है और सभी तरह के ट्रांसपोर्ट से आसानी से पहुंची जा सकती है. यहां पर बॉलीवुड फिल्म पीके और झूम बराबर झूम की शूटिंग भी हो चुकी है.

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